सुभाष राज
स्वतंत्र पत्रकार
नई दिल्ली. यद्यपि ये आंकड़े भारत को डराने वाले हैं लेकिन पर्दे के पीछे से ये एक ऐसी कहानी को बयां कर रहे हैं जिसके बारे में भारत का आम आदमी पूरी तरह अनभिज्ञ है. एक तरफ ये आंकडे इशारा कर रहे है कि भारत की युवा आबादी कोरोना काल के बाद 102 प्रतिशत से अधिक संख्या में कोरोनरी धमनी रोग की चपेट में आ रहे हैं. दूसरी ओर ये संकेत देते हैं कि भारत में तेजी से पांव पसार रहे मेडिकल इंश्योरेंस आधारित कारपोरेट हास्पिटल अस्पताल में आने वाले प्रत्येक तीसरे व्यक्ति को सीएजी यानी कोरोनरी एंजियोग्राफी कैथलैब में धकेल कर महंगे स्टंट डलवाने के लिए उन्हें बाध्य कर रहे हैं.
हाल ही एक निजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी की ओर से किए सर्वे में सामने आया है कि 2018 से 2023 के बाद 19 से 35 साल के युवाओं के साथ-साथ 36 से 45 साल तक की आबादी के हृदय की एंजियोग्राफी करने के मामलों में क्रमश: 160.87 और 102.99 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. कोरोनरी धमनी रोग निदान और उपचार के काम आने वाली एंजियोग्राफी कराने वाली आबादी का बड़ा हिस्सा मेडिकल इंश्योरेंस फेसिलिटी का उपयोग करने वाला है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार देश में जैसे-जैसे निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे अस्पताल कमाई के लिए अंडर द टेबल वाले फार्मूले लागू कर रहे हैं. इन फार्मूलों के तहत अस्पतालों में आने वाले मरीज की विभिन्न तरह की जांच अनिवार्य रूप से की जाती है. अगर कोई डॉक्टर जांचों का टारगेट पूरा नहीं करता तो उसके वेतन अथवा पैकेज में कटौती कर दी जाती है.
इसी तरह हृदय रोग चिकित्सक को प्रत्येक दूसरे या तीसरे मरीज को एंजियोग्राफी के लिए कैथलैब तक ले जाना जरूरी है तो हृदय रोग शल्य चिकित्सक को भी हार्ट की सर्जरी के टारगेट दिए जाते हैं. दिल्ली के एक बड़े कारपोरेट अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि उसे प्रत्येक माह 15 एंजियोग्राफी करना अनिवार्य है. इनमें से 10 को स्टंट लगाना भी टारगेट में शामिल है. अगर वह ऐसा नहीं कर पाता तो साप्ताहिक बैठक में उसे चेतावनी दी जाती है और फिर भी टारगेट पूरा नहीं किया तो वेतन काट लिया जाता है. चिकित्सक का कहना है कि साप्ताहिक बैठक में अस्पताल का एडमिनिस्ट्रेशन खुलेआम ये कहता है कि उन्हें मोटा वेतन इसलिए ही दिया जाता है. अगर आप टारगेट पूरा नहीं करेंगे तो आपको भारी-भरकम पेमेंट पर क्यों रखा जाएगा!
सर्वे बता रहा है कि एंजियोग्राफी कराने वालों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की भागीदारी अधिक थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट भी ये कह रही है कि हृदय रोग वैश्विक मृत्यु के कुल आंकड़ों का 68.1% अर्थात् 17.9 मिलियन है. रिपोर्ट कहती है कि हृदय रोग (सीवीडी) किसी भी अन्य गैर-संचारी रोगों की तुलना में वैश्विक स्तर पर अधिक मौत का कारण है. इस हिसाब से कहा जाए तो भारत कोरोनरी धमनी रोग जैसे हृदय संबंधी रोगों की गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है.
डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार तनाव, जीवनशैली, आहार, धूम्रपान और आनुवंशिकी जैसे कारक हृदय संबंधी समस्याओं की बढ़ती घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं. हृदय रोग जोखिम कम करने के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, धूम्रपान छोड़ने और तनाव प्रबंधन करने की जरूरत होती है.