जयपुर. लगता है चुनाव नजदीक आते देख राजस्थान के मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी बेलगाम हो गए हैं. शायद इसी वजह से वे चूरू जिले के राजलदेसर नगरपालिका चेयरमैन के खिलाफ सबूतों सहित की गई शिकायत पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. यहां तक कि शिकायतकर्ता के रिमाइंडर्स का जवाब भी नहीं दे रहे हैं. मजे की बात ये कि भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्रवाईयों का जिक्र करके मुख्यमंत्री आए दिन जिस ब्यूरो की पीठ थपथपाते हैं, वह भी सबूतों के साथ भेजी गई शिकायत पर पिछले दो साल से कुंडली मारकर बैठा है.
एलईडी लाइट खरीदने में भारी गडबड
राजलदेसर कस्बे के शिकायतकर्ता के अनुसार उन्होंने 28 सितम्बर 2021 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर को प्रमाणों सहित शिकायत भेजी कि नगरपालिका के चेयरमैन गोपाल मारू ने अगस्त 2015 से 2020 तक के कार्यकाल में लगभग आधा करोड़ यानि पचास लाख का ऐसा भ्रष्टाचार किया है जिसका खामियाजा राजलदेसर कस्बा आज तक भुगत रहा है. गोपाल मारू ने अपने कार्यकाल में एलईडी लाइट खरीदने में भारी गडबड की. एक दिन में ही निविदा और उसके नेगोशिएशन को अंजाम देकर ऐसी एलईडी लाइट खरीदीं जिनकी टेस्टिंग रिपोर्ट 7 जुलाई को आ गई लेकिन उनका निर्माण अगस्त में किया गया यानि एलईडी लाइटों की टेस्टिंग उनके निर्माण से पहले ही फर्जी तरीके से करके पत्रावली पर नोट डाल दिया गया.
रजिस्टर्ड ही नहीं है ठेकेदार
इसी तरह 850 रूपए प्रति वर्गमीटर निर्माण दर रेट को तीन गुना बढ़ाकर 2550 रूपए प्रति वर्गमीटर की दर से स्पीड ब्रेकर बनवाए. ये ठेका एक लाख से अधिक का होने के बावजूद उसकी निविदा दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित नहीं करवाई गई. इस कार्य का ठेका जिस कान्हा कन्सट्रक्शन को दिया गया, उसकी टेंडर फाइल में रजिस्ट्रेशन नम्बर तक दर्ज नहीं है. अर्थात ठेका लेने वाली फर्म नियमानुसार ठेका लेने की पात्र नहीं थी.
इसके अलावा चेयरमैन मारू ने 100 रूपए का स्ट्रीट लाइट स्टैंड 325 रूपए में खरीद लिया. इस खरीद पत्रावली पर जिन चार अधिकारियों के जिस तारीख में हस्ताक्षर दिखाए गए हैं, वे उस दिन एक साथ कार्यालय में उपस्थित नहीं थे और इसका प्रमाण नगरपालिका कार्यालय के उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज है.
चेयरमैन गोपाल मारू ने फेरोकवर की खरीद भी स्पेस्फिकेशन के अनुरूप नहीं की. एकदम घटिया फेरोकवर की सप्लाई जिस मैसर्स नन्द किशोर ओम प्रकाश से ली गई, वह फेरोकवर ना तो बनाती है और ना ही सप्लाई करती है. ये फर्म इलेक्ट्रिक सामान की रिपेयरिंग करती है.
तय दर से चार गुना अधिक पर दिया इंदिरा रसोई टेंडर
इसी तरह शहर के नालों की सफाई के लिए मोटर पम्प की निविदा 2 लाख 80 हजार रुपए की थी लेकिन कार्यादेश 2 लाख 99 हजार का दिया गया. ये पम्प भी बेहद घटिया किस्म का था और जिस दिन से वह पम्प आया है, उसी दिन से ये आए खराब रहता है. इसके अलावा इंदिरा रसोई टेंडर भी तय दर से चार गुना अधिक पर दिया. नगरपालिका में अन्य मशीनों की भी तय दर से चार गुने दाम तक खरीद कर नगरपालिका खजाने को नुकसान पहुंचाया गया. शिकायतकर्ता का कहना है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को 28 सितम्बर 2021 को भेजी गई इस शिकायत पर जब कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने 3 नवम्बर 2021, 1 जनवरी 2022 और 1 जुलाई 2022 को ब्यूरों को तीन रिमाइंडर भी भेजे, लेकिन ब्यूरो ने कोई कार्रवाई नहीं की.
मुख्यमंत्री को भेज दिए दो रिमाइंडर फिर भी नतीजा शून्य
शिकायतकर्ता के अनुसार आखिरकार उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वही शिकायत सबूतों सहित 28 फरवरी 2023 को भेजी और अनुरोध किया कि भ्रष्टाचार के इस मामले में कठोर कार्रवाई के साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करवाएं जिन्होंने सबूतों सहित शिकायत पर कार्रवाई नहीं करके भ्रष्टाचारी को संरक्षण प्रदान किया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत पर भी जब कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने 8 अप्रेल 2023 और 16 मई 2023 को मुख्यमंत्री को रिमाइंडर भेजे. इसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.