वैसे तो देश भर के दूरदर्शन केन्द्रों से यौग्यता को धक्के देकर निकाला जा रहा है लेकिन जयपुर दूरदर्शन केन्द्र में धक्के दे-देकर अयोग्य लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया गया है. इसी के चलते जयपुर दूरदर्शन केन्द्र के न्यूज बुलेटिन में इन दिनों विज्ञप्तियों की भरमार है. यहां तक कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के जयपुर तथा राजस्थान के दौरे भी पीआईबी की विज्ञप्तियों के भरोसे कवर होते हैं. खबरों से अनभिज्ञ केन्द्र की डिप्टी डायरेक्टर यानी न्यूज रूम प्रभारी केन्द्र से प्रसारित होने वाले सभी छह बुलेटिन को देखती तक नहीं हैं.
दूरदर्शन केन्द्र के सूत्रों के अनुसार दूरदर्शन केंद्र जयपुर न्यूज़ में महा लापरवाही और घोटालों की भरमार है. डिप्टी डायरेक्टर सहित दो वरिष्ठ अधिकारी न्यूज़ रूम में तैनात हैं लेकिन उन्हें दिन भर के 6 बुलेटिन में से एक भी बुलेटिन को देखने की फुर्सत तक नहीं मिलती. शायद इसी वजह से खुलेआम ये कहा जा रहा है कि जयपुर दूरदर्शन केन्द्र का न्यूजरूम राम भरोसे और सिर्फ कैजुअल्स के भरोसे चल रहा है.
सुबह-शाम अंगूठा लगाकर दिन भर ठेंगे पर रखते हैं अधिकारी
पद के दुरुपयोग की आए दिन शिकायत होने से स्टेशन डायरेक्टर व अन्य अधिकारियों के बीच रोजाना तू-तू, मैं-मैं होती है क्योंकि सुबह अंगूठा लगाने के बाद अधिकारी शाम को फिर अंगूठा (बायोमेट्रिक) लगाते समय ही केन्द्र पर दिखते हैं. मासिक ₹200000 से अधिक वेतन लेने वाले ये अधिकारी न्यूज़ के लिए रोजाना तीन टैक्सियां बुक करके उनसे बच्चों का स्कूल, सैरसपाटा और घरेलू काम कराए जाते हैं. टैक्सियों की लॉग बुक अपने आप में ही एक बड़ा सबूत है क्योंकि जिस तरह की एंट्री करके टैक्सियों का बिल पास किया जाता है, उस तरह की खबरें बुलेटिन में एक दिन भी नहीं होतीं.
स्ट्रिंगर्स कर चुके हैं बगावत
राजस्थान के पुराने 33 जिलों के स्ट्रिंगर इनके व्यवहार से परेशान हैं. इसी वजह से सभी छह बुलेटिन में स्ट्रिंगर्स की खबरें इक्का-दुक्का ही होती हैं. अब राजस्थान 50 जिलों का हो गया है.उसके बावजूद अभी तक स्ट्रिंगर्स की संख्या नहीं बढ़ाई गई है. चूंकि स्ट्रिंगर्स की खबर लेने में भी भेदभाव होता है. इसलिए अनेक स्ट्रिंगर दिल्ली तक डिप्टी डायरेक्टर न्यूज की शिकायत भी कर चुके हैं.
घरों में काम आती है न्यूज सामग्री
न्यूज़ के लिए स्टेशनरी, पेन, कागज की रिम, स्टेपलर और पिन इत्यादि का उपयोग घरों में किया जाता है. साफ-सफाई और पौंछा लगाने वाली डिटॉल भी घरों में काम आती है. मच्छर मारने की इलेक्ट्रिक मशीन तक भी गायब कर दी जाती है.
पेड न्यूज का बोलबाला
न्यूज़ के तकनीकी ज्ञान का अभाव होने से स्तरहीन खबरों का प्रसारण हो रहा है जिससे दर्शक संख्या घट रही है. पेड न्यूज़ और ऑब्लिगेटरी न्यूज़ प्रसारित कराई जा रही हैं. बुलेटिन में खबरों सम्बंधी गडबडियों का अनुमान सिर्फ इससे लगाया जा सकता है कि सभी छह बुलेटिन में घटना प्रधान खबरों का नितांत अभाव है. यहां तक तक राजनीतिक हस्तियों के दौरे भी पीआईबी प्रेसनोट आधारित होते हैं. बुलेटिन में 24 से 36 घंटे पुरानी खबरों की भरमार होती है जबकि केन्द्र के स्ट्रिंगर्स पूरे राजस्थान में फैले हुए हैं लेकिन वे दूरदर्शन की अपेक्षा प्राइवेट चैनल्स को प्राथकिता देते हैं क्योंकि केन्द्र की डिप्टी डायरेक्टर न्यूज को अपने नेटवर्क से काम कराना नहीं आता.