सुभाष राज
{स्वतंत्र पत्रकार}
नई दिल्ली. राजस्थान की एक अदालत ने अलवर जिला कलक्टर के आदेश पर दर्ज कराई गई एफआईआर पर एफआर लगाकर करोड़ों के सहकारी ऋण घोटाले पर्दा डालने की तिजारा थाना पुलिस की साजिश को नाकाम कर दिया है. अदालत ने करीब 2 करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच अब पुलिस उपअधीक्षक स्तर के अधिकारी से कराने के आदेश देते हुए 20 जुलाई 2023 को आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.
अदालत के आदेश के अनुसार दी अलवर सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक लि. की तिजारा शाखा में कार्यरत लोन सुपरवाइजर भूरमल ने बैंक के एमडी भोमाराम के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 406, 506, 504, 34 के तहत अदालती आदेश से 16 अप्रेल 2022 को पुलिस थाना तिजारा में एफआईआर कराई थी. इसके लिए अलवर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने कलक्टर के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश परिवादी भूरमल को दिए थे.
इसके बाद तिजारा बैंक शाखा में नियुक्त लोन सुपरवाइजर व परिवादी भूरमल ने 17 नवम्बर 2021 को एसीजेएम संख्या एक तिजारा की अदालत में इस्तगासा दायर कर एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया है कि बैंक की तिजारा शाखा की अधीनस्थ जैरोली, बिलासपुर जीएसएस तथा खैरथल शाखा की जीएसएस बाघौर तथा किशनगढ़बास के निरीक्षण के दौरान परिवादी ने चारों जीएसएस के करीब दो करोड़ के हिसाब में गड़बड़ी पाई. जिसकी जानकारी उसने डीओ लैटर के जरिए बैंक के एमडी भोमाराम को घोटाले की जानकारी दी और कार्रवाई करने की मांग की.
दबाव बनाया तो छीन ली नौकरी
नतीजा भोमाराम ने परिवादी भूरमल का तबादला कर दिया और अलवर में अपने घोटालेबाज साथियों के साथ मीटिंग करके उसे धमकाया कि अगर उसने इस घोटाले पर कार्रवाई का दबाव बनाया तो उसकी नौकरी छीन ली जाएगी. इस बीच परिवादी के पुत्र दीपक कुमार ने जैरोली जीएसएस का पांच वर्ष का आडिट कराया तो जीएसएस में करीब 35 लाख के गबन के दस्तावेजी सबूत मिले तो एमडी भोमाराम ने परिवादी के पुत्र दीपक कुमार को भी नौकरी से निकाल दिया.
ऋण के चेकों पर परिवादी के फर्जी हस्ताक्षर
एफआईआर के अनुसार बैंक के एमडी भोमाराम ने इससे पहले 21 फरवरी 2021 को साजिश करके तिजारा बैंक शाखा में 44 किसानों से तकरीबन 20 लाख की सीधी वसूली की और उसे बैंक में जमा कराने की अपेक्षा स्वयं रख लिया. चूंकि किसानों से वसूली हो चुकी थी और उसका इंद्राज खातों में नहीं करने से आशंका थी कि किसान इसकी शिकायत कर सकते हैं, इसलिए एमडी भोमाराम ने वसूली के साथ ही सभी 44 किसानों को पुनः ऋण स्वीकृत कर दिया ताकि किसान अंदाजा ही नहीं लगा सकें कि उनसे वसूल की गई राशि खातों में जमा नहीं की गई है. इसी दौरान बैंक से हटाए गए परिवादी के पुत्र दीपक कुमार ने समूचे मामले की शिकायत राज्य सरकार के सम्पर्क पोर्टल पर 6 अप्रेल 2017 को पंजीबद्ध करा दी. सम्पर्क पोर्टल पर इस शिकायत का पंजीयन नम्बर 04170112213296 है. सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज होने का पता चलते ही एमडी भोमाराम ने 44 किसानों को वितरित किए गए ऋण के चेकों पर परिवादी के फर्जी हस्ताक्षर करके घोटाले में परिवादी को ही फंसाने की कोशिश की.
घोटाला दबाने के लिए परिवादी को धमकाया
इसी दौरान परिवादी ने घोटाले की जानकारी डीओ लैटर के जरिए एमडी को देकर कार्रवाई की मांग की लेकिन एमडी ने लगभग सवा दो करोड़ के घोटाले को दबाने के लिए परिवादी को धमकाना जारी रखा. परेशान परिवादी इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने परिवादी थाना कोतवाली गया लेकिन पुलिस ने उसे भगा दिया. परिवादी भूरमल ने डाक से पुलिस अधीक्षक अलवर को एफआईआर भेजकर बैंक के प्रशासक कलक्टर अलवर को घोटाले की जानकारी दी. बैंक के प्रशासक जिला कलक्टर ने अलवर कोर्ट में इस्तागासा से एफआईआर दर्ज कराई जिसकी प्रति कलक्टर के साथ ही बैंक के प्रधान कार्यालय के पास मौजूद है. कलक्टर की एफआईआर अलवर कोतवाली थाने ने एफआईआर तिजारा थाना इलाके की बताकर उसे तिजारा पुलिस थाने को भेज दिया. लेकिन राजस्थान पुलिस के तिजारा थाने ने घोटालेबाज एमडी भोमाराम के खिलाफ कार्रवाई करने की अपेक्षा परिवादी को ही उच्चाधिकारियों की जानकारी के बिना एफआईआर दर्ज कराने का दोषी ठहराकर दो करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच और तथ्यों का अवलोकन किए बिना तिजारा की एसीजेम नम्बर 2 में एफआर पेश कर दी.
गबन के दोषियों को अदालत में पेश करें !
मजबूरन परिवादी भूरमल ने अदालत में प्रोटेस्ट पिटीशन पेश कर सीआरपीसी की धारा 200 के तहत बयान दर्ज कराकर घोटाले के प्रमाणों से अदालत को अवगत कराया. अदालत ने बयान में पेश किए गए प्रमाणों को सही मानते हुए लिखित टिप्पणी की है कि जांच अधिकारी ने पत्रावली पर मौजूद तथ्यों एवं प्रमाणों को दरकिनार करके उल्टे परिवादी को ही दोषी ठहराने की कोशिश की. इसलिए अदालत ने पुलिस अधीक्षक भिवाडी को आदेश दिया है कि वह किसी उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से पूरे मामले की जांच कराएं और आवश्यक हो तो दोषियों की गिरफ्तारी करके कार्रवाई करें. पुलिस अधीक्षक दो माह में अदालत को अवगत कराएं कि दो करोड़ से अधिक के गबन के दोषियों को सजा के लिए अदालत में पेश करें.