नई दिल्ली. अभिनेता अक्षय कुमार की ‘पैडमैन’ फिल्म की तर्ज पर माओवादियों के इलाके में उन महिलाओं को सेनेटरी पैडस उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिन्होंने माओवाद के नाम पर बंदूकें उठा रखी हैं। इन महिला माओवादियों को छत्तीसगढ़ के कुछ सामाजिक कार्यकर्ता मासिक चक्र के दौरान उन्हें सेनेटरी पैडस उपलब्ध कराकर उनका दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे महिला माओवादियों को मासिक चक्र के दौरान होने वाली परेशानियों से बचाकर उन्हें ये संदेश दिया जा रहा है कि वे बंदूक उठाकर लोगों की जान लेने की अपेक्षा अपनी जान की फिक्र ज्यादा करें।
कोलंबिया से मिला आइडिया
छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के जंगलों में रहकर लड़ाई लड़ रहे माओवादियों में करीब ढाई हजार महिला माओवादी होने का अनुमान है। छत्तीसगढ़ के कुछ कार्यकर्ता उनके बीच रीयूजेबल सैनिटरी नेपकिन और मेंसुरल कप बांट रहे हैं। मीडिया की खबरों के मुताबिक जो सामाजिक कार्यकर्ता इस काम को कर रहे हैं, उनका मानना है कि इस पहल से महिलाएं अपने पुरूष साथियों का मन बदलने की कोशिश में जुट सकती हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं को यह आइडिया दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया से मिला, जहां लड़ने वाले विद्रोहियों को क्रिसमस के तोहफे के तौर पर सैनिटरी पैड्स भेजे गए। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने दीवाली पर महिला माओवादी लड़ाकों को सेनेटरी पैड्स भेजे।
तीन में से एक महिला को मिल पाता पैड
भारत में बहुत सारी महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में सेनेटरी उत्पाद नहीं मिल पाते। कई बार उनके पास इन्हें खरीदने के पैसे नहीं होते तो कई बार उनकी पहुंच ऐसे उत्पादों तक नहीं होती। 2015-16 के एक सरकारी सर्वे के अनुसार भारत में हर तीन में से सिर्फ एक महिला ही नैपकिन इस्तेमाल करती है, बाकी पुराने कपड़े इस्तेमाल करती हैं। महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था आइना की सचिव स्नेहा मिश्रा ने महिला माओवादी लड़ाकों के बीच सेनेटरी पैड्स बांटने की पहल का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इस पहल में सरकार को शामिल किया जाना चाहिए।