नई दिल्ली. महिलाओं को नाजुक और घरेलू कामकाज लायक मानने वाला पुरुष समुदाय इस खबर को पढ़कर बेचैन हो सकता है क्योंकि अनुसंधानकर्ताओं को पेरू की एंडीज पहाड़ियों में करीब 9,000 साल पहले दफन हुई एक युवा महिला के शरीर के अवशेषों के पास कई तरह के औजारों से लैस एक टूल किट मिला, जो बड़े जानवरों के शिकार में काम आते हैं। जहां युवा महिला का शव मिला, उसी सामूहिक कब्रगाह में 27 अन्य अवशेष भी औजारों समेत मिले।
शेरनी आज भी भरती है शेर का पेट
शव और उनके औजारों का विश्लेषण करने के बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के अनुसंधनकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि उस काल में 30 से 50 फीसदी महिलाएं ठीक वैसे ही शिकार करके परिवार का पालन—पोषण करती होंगी जैसे आज भी जंगल में शिकार करके शेरनी बच्चों समेत शेरों का पेट भरती है।
‘साइंस एडवांसेज’ नामक जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार हजारों साल पहले महिला भी शिकारी की भूमिका में थी और उसके जरिए ही परिवार का पालन-पोषण करती थी। ये नतीजे मौजूदा समाज में प्रचलित महिला-पुरुष के बीच के श्रम-विभाजन की असमानताओं को भी उजागर करते हैं। अभी दोनों लिंगों के बीच काम के बंटवारे और जेंडर पे-गैप, ओहदे और रैंक से जुड़े अंतरों का प्राकृतिक आधार नहीं है।
धनुष जैसा हथियार रखती थीं महिलाएं
इस निष्कर्ष पर पहुंचे अनुसंधनकर्ताओं का मानना है कि 2018 में बरामद पुराने मानव अवशेषों में शामिल दो शिकारियों की अस्थि संरचना और दांत की इनामेल परत में मौजूद पेप्टाइड्स की जांच के अनुसार उनमें से एक 17 से 19 साल की महिला और दूसरा 25 से 30 साल का पुरुष है। टीनएज महिला के अवशेषों के पास से ऐसे खास औजार मिले, जिससे साफ होता है कि वह बड़े जानवरों का शिकार करने वाली शिकारी रही होगी। उसके पास से एटलाटल नाम का एक ऐसा लीवर जैसा औजार मिला है, जिससे भाले जैसे हथियार को बहुत दूर फेंका जा सकता है।
एक तिहाई महिलाएं होती थीं शिकारी
इसके बाद रिसर्चरों ने पूरे अमेरिका में 107 स्थलों पर दफन 429 इंसानों के अवशेषों की जांच की। सारे अवशेष 17,000 साल तक पुराने थे। इनमें 16 पुरुष और 11 महिलाएं थीं। शोध पत्र के अनुसार सैंपल इस नतीजे तक पहुंचने के लिए पर्याप्त है कि प्रारंभिक काल में बड़े शिकार अभियानों में महिलाओं की सहभागिता थी। अनुमान है कि उस समय कुल शिकारियों में 30 से 50 फीसदी तक महिलाएं रही होंगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि 2017 में भी महिला वाइकिंग योद्धाओं पर हुई जेनेटिक स्टडी के नतीजे भी इसी से मिलते जुलते थे। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि बचपन और किशोरावस्था में महिलाएं शिकार में निपुणता हासिल कर लेती थीं, लेकिन परिपक्व होने के बाद इंसानी नस्ल को आगे बढ़ाने के लिए बच्चे पैदा करने और उन्हें पालने की जिम्मेदारी के चलते उन्हें अपना ज्यादा वक्त इन्हीं कामों में लगाना पड़ता होगा।