नई दिल्ली. कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रदेश की भाजपा सरकार के उस मंसूबे को पूरा नहीं होने दिया है जिसके तहत वह अपने 61 सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ लम्बित मुकदमों को वापस लेना चाहती थी। हाईकोर्ट ने सरकार के मुकदमा वापस लेने के निर्णय पर रोक लगा दी है।
कर्नाटक सरकार ने गृह मंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली एक उप-समिति के सुझावों पर 31 अगस्त, 2020 को सत्ताधारी भाजपा के सांसदों और विधायकों पर दर्ज 61 मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया था।
मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और जस्टिस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने कहा कि 31 अगस्त, 2020 के आदेश के आधार पर कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। अदालत ने सरकार को 22 जनवरी तक आपत्ति दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया जिसमें सीआरपीसी की धारा 321 के तहत 61 मामलों में मुकदमा वापस लिए जाने संबंधी सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया और कहा कि सीआरपीसी की धारा 321 के तहत कार्रवाई केवल न्यायालय की अनुमति से की जा सकती है।
जानकारी के अनुसार राज्य के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी और पर्यटन मंत्री सीटी रवि के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143 (गैरकानूनी सभा) और 147 (दंगा फैलाना) के तहत आरोपों के साथ ही 2017 में होसपेट से विधायक आनंद सिंह के खिलाफ दर्ज पत्थरबाजी और तोड़-फोड़ का मामला भी था। इसी तरह कर्नाटक के कृषि मंत्री बीसी पाटिल के खिलाफ 2012 में गणेश मूर्ति के विसर्जन से संबंधित एक मामले को भी वापस लिया जाना था।