करीब है कोरोना के इलाज की खोज
नई दिल्ली. भारत में जन्मी एक अमेरिकी डाक्टर ने उस प्रोटीन की पहचान कर ली है जो कोरोना संक्रमितों को मौत की खाई में धकेल देता है। चूहों पर किए गए प्रयोग के दौरान पहचाने गए छोटे प्रोटीन पर आगे अध्ययन जारी है। माना जा रहा है कि इससे जानलेवा कोरोना संक्रमण का पक्का इलाज मिल सकता है और रोगियों की बड़े पैमाने पर जान बचाई जा सकती है।
चूहों पर किया गया था अध्ययन
भारत में जन्मीं और टेनेसी की सेंट ज्यूड चिल्ड्रेन रिसर्च हॉस्पिटल में बतौर अनुसंधानकर्ता तैनात डॉ.तिरुमला देवी कन्नेगांती का ये अध्ययन ‘सेल’ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। चूहों पर अध्ययन के दौरान पाया गया कि संक्रमित की कोशिकाओं में सूजन की वजह से अंगों के बेकार होने का संबंध ‘हाइपरइनफ्लेमेटरी’ प्रतिरोध से है जिससे अंतत: मौत होती है। डाक्टर ने इस स्थिति से निटनने की संभावित दवाओं की पहचान कर ली है।
खास साइटोर्कीस से आती है सूजन
अध्ययन में पता चला कि कैसे सूजन वाली कोशिकाओं के मृत होने के संदेश प्रसारित होते हैं। इसी आधार पर डाक्टर ने इसे बाधित करने की पद्धति का अध्ययन किया। डॉ.केन्नागांती के अनुसार इस के कार्य करने के तरीके और सूजन पैदा करने के कारणों की जानकारी बेहतर इलाज पद्धति विकसित करने में अहम है।
अनुसंधान से चिकित्सकों की समझ बढ़ने की उम्मीद है। उस खास ‘साइटोकींस’ (कोशिका में मौजूद छोटा प्रोटीन जिससे संप्रेषण् होता है) की पहचान की जा चुकी है जो कोशिका में सूजन उत्पन्न कर अंतत: उसे मौत के रास्ते पर ले जाता है। इस खोज से कोरोना ही नहीं उच्च मृत्युदर वाली अन्य बीमारियों का इलाज खोजने में भी मदद मिलेगी।