लोकसभा की प्रश्नसूची है इसकी गवाह
नई दिल्ली. दिल्ली को घेरने वाले किसानों के समर्थन का आलाप खींच रहे विपक्ष और सरकार को किसानों की कितनी परवाह है उसका उत्तर पिछले 20 साल में लोकसभा में पूछे गए प्रश्नों में छुपा हुआ है। लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस के सांसदों ने बीस सालों में जितने प्रश्न पूछे, उनमें से सिर्फ 5 प्रतिशत में किसान, कृषि का जिक्र है।
तीन लाख प्रश्नों में सिर्फ पन्द्रह हजार किसानों से सम्बंधित
किसानों का मानना है कि राजनीतिक दल चुनावों में झूठे वादे करते हैं और विरोध प्रदर्शन शुरू होने पर समर्थन जताने आ जाते हैं, लेकिन लोकसभा और राज्यसभा में उनकी समस्याओं सम्बंधी प्रश्न उठाने से कतराते हैं। भारत की श्रमशक्ति का लगभग 50 प्रतिशत कृषि पर निर्भर है। फिर भी लोकसभा में पूछे गए प्रश्नों के आंकड़े बताते हैं कि 1999 से 2019 के बीच तीन लोकसभाओं में पूछे गए कुल 2,98,292 प्रश्नों में से सिर्फ 14,969 ही किसानों से संबंधित थे।
वोट पर हक जमाने में आगे रहे दो दल
पार्टियों की कसौटी पर कसने से मालूम होता है कि इस अवधि में 10-10 साल सत्तासीन रही भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों ने किसानों से संबंधित 5.6 प्रतिशत और 4.8 प्रतिशत ही सवाल पूछे। लगभग सभी प्रमुख दलों की किसान शाखाएं मसलन भाजपा का किसान मोर्चा और भारतीय किसान संघ और कांग्रेस की किसान कांग्रेस किसानों के मुद्दों को उठाने में विफल रही हैं। दोनों दल किसानों की समस्याओं का व्यापक समाधान करना तो दूर उनके वोट पर हक जमाने में सबसे आगे रहे।
ऊँट के मुंह में जीरे के समान है योगदान
जनवरी 2016 और अगस्त 2019 के बीच नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा 377 अर्जियां दी गई थीं। इनमें से केवल 12 किसानों के मुद्दों पर थे। इन अर्जियों में से 110 कांग्रेस की थीं। भाजपा ने 63 बार आवेदन किया। दोनों पार्टियों के अनुमति एजेंडे में किसानों के मुद्दे ऊँट के मुंह में जीरे के समान थे।