मरणासन्न मरीज को दी नई जिंदगी
जयपुर. राजस्थान हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने 70 वर्षीय एक ऐसे मरीज की जान बचाने में कामयाबी हासिल की है जिसका इलाज करने से कई अन्य अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए थे। उन्होंने कार्ल ज़ीस टिवाटो माइस्क्रोप की मदद से रोगी के दिमाग के चौथाई हिस्से को कवर कर चुके फोर्थ ग्रेड ब्रेन ट्यूमर को बाहर निकाल दिया।
आपरेशन करने वाली डॉक्टरों की टीम के लीडर ब्रेन एण्ड स्पाइन सर्जन डॉ. अनिल कोठीवाला के अनुसार ऑपरेशन एक ऐसे यंत्र की मदद से किया गया जो आखों से ना देखे जा सकने वाले ट्यूमर को दिमाग के सामान्य हिस्से से अलग करके सटीक इमेज दिखाता है। जिस कार्ल ज़ीस टिवाटो माइस्क्रोप का इस्तेमाल आपरेशन में किया गया, वह राज्य के किसी अन्य अस्पताल में नहीं है। ये माइस्क्रोप स्मार्ट टेलीविजन की तरह सिर के अंदर की पिक्चर को कई एंगल से दिखाता है।
करीब 9 माह पहले ट्यूमर का पता लग जाने के बाद परिजन रोगी को कई अस्पतालों में ले गए लेकिन सबने हाथ खड़े कर दिए। लकवाग्रस्त मरीज जब राजस्थान हॉस्पिटल में आया तो मरणासन्न था। उसके ट्यमर की गांठ काफी बडी होने से वह हाई रिस्क पेशेंट था इसलिए पहले उसे दवाइयों से ऑपरेशन करने की स्थिति में लाया गया।
ऑपरेशन मरीज के दाएं कान के ऊपर वाले हिस्से में 10 रुपए के सिक्के के बराबर का हिस्सा कर किया गया। करीब 8 घंटे चले ऑपरेशन में सिर के करीब 6 इंच अंदर से ट्यूमर निकाल दिया गया।
राजस्थान हॉस्पिटल के वाइस प्रेसीडेंट डॉ. सर्वेश अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल में ड्रिल, क्यूमा, ट्यूमर एस्पिरेटर आदि अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से जटिल से जटिल सर्जरी सुरक्षित तरीके से की जा रही है। मिनीमल इनवेसिव सर्जरी से रक्तस्त्राव कम होता है, इससे इन्फेक्शन की आशंकाएं घट जाती हैं। रोगी को अस्पताल में कम रुकना पडता है, जिससे खर्चा भी कम आता है। डा. सर्वेश ने बताया कि ऑपरेशन में एनेस्थेशिया विभाग की डॉ. खुशबू, डॉ. ऋषभ, डॉ. नितिका, नूतन, हिम्मत, किरण, सीताराम और अम्बिका ने हिस्सा लिया।