इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जिस लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को उतारा है, उनकी जिंदगी सिर्फ 14 दिन की है। इसलिए देश भर से इंटरनेट पर ये सवाल पूछा जा रहा है कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान 14 दिन की जिंदगी में क्या-क्या काम करेंगे! इसके अलावा ये जानने के लिए भी इंटरनेट पर सवालों का ढेर लगा हुआ है कि 14 दिन बाद जब चांद पर फिर से सूरज उगेगा तो क्या प्रज्ञान और विक्रम फिर से जी उठेंगे अथवा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही दफन हो जाएंगे!
इसरो ने बताया है कि विक्रम और प्रज्ञान की मिशन लाइफ़ सिर्फ़ 14 दिन की है क्योंकि विक्रम और प्रज्ञान की बैटरियां सौर ऊर्जा पर आधारित है। चूंकि चांद पर पांच-छह अगस्त तक दिन ढल जाएगा और चांद की सतह के तापमान में भारी गिरावट आ जाएगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि चांद पर पृथ्वी की तरह वायुमंडल नहीं है। अगर वायुमंडल होता तो चांद की धरती भी पृथ्वी की तरह रात के वक़्त गर्म रहती और विक्रम तथा प्रज्ञान जैसे-तैसे सांस लेते रहते। लेकिन चार-पांच अगस्त को सूरज डूबने के साथ ही चांद पर अंधेरे का साम्राज्य हो जाएगा और तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाएगा। इस तापमान पर विक्रम और प्रज्ञान की मौत होना तय है।
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लंबी अंधेरी रात के बाद चांद पर जब फिर सूरज उगेगा तो क्या प्रज्ञान और विक्रम फिर जी उठेंगे। इस सवाल के जवाब में इसरो प्रमुख डॉ सोमनाथ ने मीडिया से कहा है कि इस तापमान पर इनके सुरक्षित बचे रहने की संभावनाएं काफ़ी कम हैं। अगर ये फिर जी उठे तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।
क्या प्रज्ञान और विक्रम अपने साथ चांद के नमूने लेकर धरती पर वापस आएंगे!
अभी भारत के पास वो तकनीक उपलब्ध नहीं है जिससे वो चांद पर यान भेजकर सैंपल के साथ वापस आ सके। इसलिए इस मिशन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि प्रज्ञान और विक्रम अपने लेज़र उपकरणों की मदद से चांद की सतह का परीक्षण करके इसरो को भेजेंगे जिसका धरती पर विश्लेषण किया जाएगा।
छह पहियों और 26 किलो वजन वाला रोवर प्रज्ञान बेहद धीमी गति से चलते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव की ज़मीन का डेटा भेजेगा। इसके अलावा चांद की सतह की रासायनिक संरचना की जानकारी देने के साथ ही बताएगा कि चांद की ज़मीन में किस तत्व की कितनी मात्रा है। बता दें कि अभी तक रूस, अमेरिका और चीन के यान चांद की जमीन के जो टुकड़े लेकर आए हैं वे चांद के भूमध्यरेखीय क्षेत्र से आए हैं। ये पहली बार होगा जब चांद के दक्षिणी ध्रुव की जमीन की संरचना का डेटा धरती पर आएगा। ये डेटा बिल्कुल नया होगा।
रोवर प्रज्ञान पर लगाया गया एलआईबीएस यानी लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप चंद्रमा की सतह पर तीव्र लेजर फायर करेगा। इससे सतह की मिट्टी पिघल कर प्रकाश उत्सर्जित करेगी। इसी दौरान रोवर प्रज्ञान इसके वेबलेंथ का विश्लेषण करके एलआईबीएस सतह पर मौजूद रासायनिक तत्वों और सामग्रियों की पहचान करेगा।
रोवर प्रज्ञान का एलआईबीएस उपकरण चंद्रमा की सतह पर मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम, टाइटेनियम और आयरन जैसे तत्वों की उपस्थिति का पता लगाएगा। प्रज्ञान पर लगा एपीएक्सएस यानी अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर चंद्रमा की सतह पर मिट्टी और चट्टानों के रासायनिक यौगिकों का पता लगाएगा।