नई दिल्ली। आल इंडिया यूनानी तिब्बती कांग्रेस के महासचिव डॉ सैयद अहमद खान की अध्यक्षता में एक बैठक दरिया गंज नई दिल्ली में संपन्न हुई। इस बैठक में विभिन्न प्रांतों से आए पदाधिकारियों का स्वागत भी किया गया।
बैठक को संबोधित करते हुए डॉ सैयद अहमद खान ने कहा कि पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में यूनानी चिकित्सा पद्धति की दयनीय स्थिति है। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शासनकाल में यूनानी चिकित्सा पद्धति की हालत इतनी खराब हो सकती है यह सोचा भी नहीं जा सकता है। जबकि ममता बनर्जी के जरिए सभी नागरिकों खासतौर से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का विशेष ख्याल रखा जाता है। उनके शासन में अल्पसंख्यक अपने आप को काफी सुरक्षित महसूस करते हैं। डॉ खान ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वह इस मामले को गंभीरता से देखें और पश्चिम बंगाल में अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तरह यूनानी चिकित्सा पद्धति के विकास और उत्थान के लिए उचित दिशा निर्देश जारी करें।
डॉ खान ने भाजपा शासित राज्यों गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में यूनानी चिकित्सा पद्धति की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री के देसी चिकित्सा उपचार को बढ़ावा दिए जाने के आह्वान का यहां पर सम्मान नहीं किया जा रहा है। उनका कहना है कि देसी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिए जाने के लिए प्रधानमंत्री ने आयुष मंत्रालय का गठन किया है और यूनानी चिकित्सा पद्धति भी इसका ही एक अंग है। ऐसी स्थिति में यूनानी चिकित्सा पद्धति के साथ भेदभाव उचित नहीं है। उन्होंने कहा है कि जब तक सभी चिकित्सा पद्धतियों का एक समान विकास नहीं किया जाएगा तब तक प्रधानमंत्री के देसी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिया जाने के सपने को साकार नहीं किया जा सकता है। डॉ खान ने गुजरात में एक भी यूनानी चिकित्सा पद्धति के मेडिकल अफसर की नियुक्ति नहीं करने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री के ग्रह राज्य में यह नाइंसाफी की जा रही है। उन्होंने तीनों भाजपा शासित राज्य सरकारों से यूनानी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिए जाने के लिए योजनाएं और कार्यक्रम बनाने की मांग की है। उन्होंने सरकारी औषधालय, अस्पतालों आदि में यूनानी चिकित्सकों की नियुक्ति किए जाने की मांग की है। इसके साथ ही राज्य सरकारों से सरकारी यूनानी कॉलेजों के निर्माण की भी मांग की गई है।बैठक में डॉ एस एम हुसैन, डॉ शफीक अहमद, डॉ एस एम याकूब, डॉ जियाउर्रहमान, डॉ एजाज़ अली क़ादरी, डॉ डी आर सिंह, डॉ शमीम अहमद मेरठी,इमरान कन्नौजी,ओवैसी गोरखपुरी आदि ने संबोधित किया है।