नई दिल्ली. खुली सिगरेट की बिक्री करने पर खुदरा व्यापारियों को सात साल कैद की सजा के प्रस्ताव से नाराज छोटे और मझोले खुदरा कारोबारियों की संस्था फेडरेशन ऑफ रिटेलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआरएआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने का आग्रह किया है। एफआरएआई का दावा है कि इससे पूरे भारत में तंबाकू उत्पाद बेचने वाले छोटे खुदरा विक्रेताओं की आजीविका पर ऐसा हमला होगा कि उनकी कमर टूट जाएगी।
एफआरएआई का दावा है कि वह देश के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी हिस्से के 34 खुदरा संगठनों के साथ कुल चार करोड़ छोटे और मझोले खुदरा विक्रेताओं का प्रतिनिधि है। उसका कहना है कि छोटे खुदरा विक्रेता पहले से ही कोविड-19 महामारी के प्रकोप का सामना कर रहे हैं और ‘ताजा हमला उनके परिवारों के लिए विनाशकारी होगा।
एसोसिएशन ने कहा कि उसके सदस्य संगठन स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित कोटपा (सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम) विधेयक 2020 के अलोकतांत्रिक संशोधनों से परेशान हैं। ये संशोधन सिगरेट की लूज बिक्री को रोकने के लिए लाए जा रहे हैं। 21 साल से कम उम्र के व्यक्तियों को तंबाकू उत्पादों की बिक्री को प्रतिबंधित करने के साथ ही ये प्रस्ताव दुकानों के भीतर विज्ञापन और प्रमोशन पर भी रोक लगाएंगे। एसोसिएशन का कहना है कि ऐसा लगता है कि इनका मकसद बड़े खुदरा विक्रेताओं को प्रभावित किए बिना छोटे खुदरा विक्रेताओं के व्यापार को नष्ट करना है।’
एफआरएआई कहा कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन और कारोबारी बंदिशों और उसके बाद आर्थिक स्थिति बिगड़ने के चलते छोटे खुदरा कारोबारियों की दशा खराब है और कोई भी विपरीत नीति उनके कारोबार को अस्थिर कर देगी। प्रधानमंत्री से अपील है कि वे संबंधित मंत्रालय को प्रस्तावित कोटपा संशोधनों को तुरंत वापस लेने का निर्देश दें, क्योंकि वे अत्यंत कठोर हैं। लूज सिगरेट बेचने को संज्ञेय अपराध बनाने और छोटे उल्लंघनों के लिए सात साल की कैद का प्रावधान दुकानदारों के लिए बेहद कठोर है और उनके साथ जघन्य अपराधियों जैसा बर्ताव है।