राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए 2018 से जारी जंग में नाकाम रहने के बाद प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट एक बार फिर उसी टोंक विधानसभा से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं जहां से 2018 में उन्होने पचास हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार हालात विपरीत दिख रहे हैं क्योंकि भाजपा ने उनके मुकाबले 2013 में विधायक चुने जा चुके सर्वसुलभ अजीत मेहता को मैदान में उतारा है. मुस्लिम, गुर्जर और अनुसूचित जनजाति के बाहुल्य वाली टोंक विधानसभा सीट पर 2018 में तीनों प्रमुख जातियों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था जबकि भाजपा ने अपने पूर्व मंत्री और मुस्लिम युनूस खान को चुनाव मैदान में उतारा था. इस बार भाजपा ने अपनी गलती दुरुस्त कर ली है और टोंक शहर समेत ग्रामीण इलाकों में खासे लोकप्रिय रहे पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता को टिकट दिया है. इससे सचिन पायलट की राह आसान नहीं रह गई है क्योंकि मेहता शहर के हिंदू और मुस्लिमों में समान पैठ रखते हैं.
टोंक की चुनावी राजनीति पर करीबी से नजर रखने वालों का कहना है कि विधानसभा के शहरी क्षेत्रों के अधिकतर मुस्लिम कांग्रेस के परम्परागत वोटर हैं लेकिन इस बार उनमें पायलट के प्रति नाराजगी है. नाराजगी का कारण पायलट के लेफ्टिनेंट रहे वह सउद सईदी है जिसने जनता के कामों की अपेक्षा स्वयं के काम कराकर सचिन की नजदीकी का फायदा उठाया. इससे टोंक की जनता और पायलट के बीच सीधा संवाद नहीं रह पाया.
टोंक में जीत किसकी होगी और किसकी होगी हार सवाल के जवाब में राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि अजीत सिंह मेहता और पायलट के बीच मुकाबला एकतरफा नहीं बल्कि कांटे की टक्कर का है. अजीत के टक्कर में आने के पीछे कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के साथ ही जम्मू—कश्मीर के मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की बेटी सारा अब्दुल्ला का सचिन पायलट से तलाक हो जाने की खबरें हैं. इससे पिछले चुनाव में पायलट को मुस्लिम वोट झडकर मिलने के अनुमान लगाए गए थे. लेकिन इस बार इसी वजह से मुस्लिम वोटों में कमी आने की आशंका है.
इसके अलावा पिछली बार पायलट के मुकाबले भाजपा टिकट पर मुस्लिम युनूस खान होने से भाजपा के वे वोट उससे रुठ गए थे जो प्रत्येक चुनाव में ध्रुवीकृत रहते हैं. ये हिंदू आबादी के वे वोट होते हैं जो मुस्लिम विरोधी हैं और इसी वजह से भाजपा के वोटर हैं. इस बार भाजपा टिकट पर हिंदू अजीत सिंह मेहता उम्मीदवार हैं. इसलिए ध्रुवीकृत वोट भी अजीत सिंह मेहता की जीत में मदद कर सकते हैं. अजीत सिंह मेहता को अनुसूचित जातियों के साथ ही वैश्य, ब्राह्मण तथा क्षत्रियों का वोट भी मिलने की पूरी उम्मीद है.