नई दिल्ली. अगर आपकी कार चोरी हो जाती है तो हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) से चोरों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा क्योंकि एचएसआरपी के सेंट्रल डेटाबेस में कार का इंजन नंबर और चेसिस नंबर सुरक्षित रहता है। इस डेटा और 10 अंकों के पिन के ज़रिए किसी चोरी हुई कार को पहचाना जा सकता है।
जून 2019 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गाड़ियों पर होलोग्राम आधारित कलर कोडेड स्टिकर को लगाना अनिवार्य किया था। कलर कोडेड स्टिकर में रजिस्ट्रेशन नंबर, रजिस्ट्रिंग अथॉरिटी, लेज़र से बने पिन, गाड़ी के चेसिस और इंजन नंबर सुरक्षित रहते हैं। केन्द्रीय मंत्रालय की सलाह के आधार पर दिल्ली के परिवहन विभाग ने एचएसआरपी और कलर कोडेड फ़्यूल स्टिकर नहीं लगाने वाली कारों के चालान शुरू कर दिए हैं।
संशोधित एमवी एक्ट के अनुसार, एचएसआरपी न होने पर 10,000 रुपये तक का चालान हो सकता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अप्रैल 2019 से पहले ख़रीदी गईं सभी गाड़ियों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) लगाना अनिवार्य कर दिया। योजना की शुरुआत 31 मार्च 2005 से हुई थी। गाड़ियों पर यह प्लेट लगवाने के लिए दो साल का समय दिया गया था। इस प्लेट का मक़सद गाड़ियों की चोरी और जालसाज़ी को बंद करना है।
एल्युमिनियम की यह नंबर प्लेट दो नॉन-रियूज़ेबल लॉक से लगाई जाती है। ये लॉक टूटने पर पता लग जाता है कि प्लेट से छेड़छाड़ की गई है। इस प्लेट पर क्रोमियम धातु का नीले रंग का अशोक चक्र का होलोग्राम लगाया जाता है। प्लेट में नीचे की ओर लेजर से बनाया हुआ एक 10 अंकों का ख़ास पिन होता है। नंबर प्लेट पर लिखा गाड़ी का नंबर भी उभरा हुआ होता है। जब कोई गाड़ी चोरी होती है तो उसकी नंबर प्लेट बदली जाती है लेकिन एचएसआरपी के चलते उसे बदलना आसान नहीं रह गया है, क्योंकि इसे ऑटोमोबाइल डीलर ही लगाते हैं। उनको राज्य के परिवहन विभाग से मान्यता प्राप्त प्राइवेट वेंडर्स से ये प्लेट मिलती है।