फिर आया भ्रमित करने वाला अध्ययन
नई दिल्ली. कोरोना के कहर के दौरान ऐसे अध्ययनों की बाढ़ आ गई है जो महामारी का सामना कर रहे लोगों को लगातार भ्रमित कर रही है। इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन का बड़ा हाथ है, जो कोरोना सम्बंधी गाइड लाइन, हिदायतों में लगातार बदलाव कर रहा है। अब एक अध्ययन में ये दावा किया गया है कि खाने पीने का सामान खरीदने से कोरोना संक्रमण का डर विमान यात्रा से ज्यादा है। जानकार इसे दुनिया की विमानन कम्पनियों के ठप हुए व्यापार को ताकत देने का संगठित प्रयास मान रहे हैं।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बाहर भोजन करना और किराने का सामान खरीदना हवाई यात्रा से अधिक खतरनाक हो सकता हैं। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह की तुलना इन बातों की जानकारी के बिना नहीं की जा सकती कि क्या इन प्रत्येक परिदृश्यों में मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाये रखने संबंधी मानदंडों का ठीक से पालन किया जाता है।
वैज्ञानिकों ने लगाया सवालिया निशान
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अमेरिका में हार्वर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वैज्ञानिकों, एयरलाइंस, हवाई अड्डों और विमान निर्माताओं की ओर से वित्त पोषित शोध में कहा गया है कि उच्च दक्षता वाले पार्टिकुलेट एयर (एचईपीए) फिल्टर विमानों में वेंटिलेशन प्रणाली के जरिये स्वच्छ और ताजा हवा की आपूर्ति करती है जो 99 प्रतिशत से अधिक उन कणों को छानती है जो कोविड-19 का कारण बन सकते हैं। इधर अमेरिका में ही मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के अर्नोल्ड आई बार्नेट सहित शोधकर्ताओं ने कहा कि एचईपीए फिल्टर विमानों में प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकते हैं जैसा कि रिपोर्ट से पता चलता है। एचईपीए फिल्टर बहुत अच्छे हैं, लेकिन प्रभावी नहीं हैं। वे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं और इन फिल्टरों के बावजूद संक्रमण के कई उदाहरण हैं। इस अध्ययन के बाद कई विषय विशेषज्ञों ने विमान में संक्रमण खतरे को कम बताने के प्रयास पर चिंता जताई है। जब विमानों में वेंटिलेशन सिस्टम काम करता है तब किसी को इस बात का अनुमान नहीं होता कि विमान में कितने कोविड-19 संक्रमित हैं।