नई दिल्ली. राजस्थान कांग्रेस में पिछले तीन साल से जारी बगावत की आग में फायदों की रोटी सेक रहे पार्टी विधायकों के लिए अब खतरे की घंटी बज गई है. पार्टी ने ऐलान किया है कि जनता के हितों की रक्षा में नाकाम रहे विधायकों को आगामी विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं दिया जाएगा. इसके लिए पार्टी ने कई पैरामीटर निर्धारित किए हैं. विधायकों के कामकाज का जायजा लेने के लिए पार्टी पंचायत से लेकर बूथ स्तर तक पार्टी पदाधिकारियों से रिपोर्ट लेगी और उसी के आधार पर विधायकों तथा मंत्रियों की परफार्मेंस तय की जाएगी.
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम के सिलसिले में बैठक के बाद साफ कर दिया है कि जिन विधायकों की परफार्मेंस विशेषकर जनता को राहत देने में नाकामी की रिपोर्ट मिलेगी. उनको विधानसभा चुनावों में पार्टी इस बार टिकट नहीं देगी. ऐसा नहीं है कि गाज अकेले विधायकों पर गिरेगी बल्कि मंत्रियों को भी टिकट पाने के लिए सिर के बल खड़ा होना होगा. अभी तक विभागीय सचिवों की बनाई रिपोर्ट्स के आधार पर अपनी परफार्मेंस को बेहतर बताकर नेतृत्व को प्रभावित करने में सफल रहने वाले मंत्रियों को भी अब मंत्रिपरिषद की बैठक में अपनी रिपोर्ट्स पेश करके बताना होगा कि उनके विभाग की क्या स्थिति है.
मंत्रियों को कहा गया है कि उनके विभाग में आई जनता की शिकायतों और उनके निराकरण को पैमाना माना जाएगा. ऐसा नहीं होगा कि वे आंकड़ों की बाजीगरी करके पतली गली से निकल जाएं. शिकायतों के निराकरण मामले का पैमाना भी बेहद सख्त कर दिया गया है. अगर किसी शिकायत के निराकरण की रिपोर्ट आने के बाद वही शिकायत फिर से आई तो इसे विभाग और उसके मंत्री की नाकामी माना जाएगा. मंत्रियों की परफार्मेंस रिपोर्ट ही ये तय करेगी कि टिकट के लिए उनकी दावेदारी कितनी उचित है.