नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह अपने इस आरोप पर हलफनामा दाखिल करे कि किसान आंदोलन में खालिस्तानियों ने पैठ बना ली है।
चीफ जस्टिस एसए बोवडे की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ जब तीन कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के मामले की सुनवाई कर रही थी, तभी उसे सूचित किया गया कि उसके समक्ष एक आवेदन दाखिल किया गया है जिसमें आन्दोलरत किसानों को एक प्रतिबंधित संगठन के समर्थन का आरोप लगाया गया है। पीठ ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से इस बारे में जानकारी मांगी। वेणुगोपाल ने कहा कि किसानों के इस आन्दोलन में खालिस्तानियों ने पैठ बना ली है। इस पर पीठ ने उनसे कहा कि इस संबंध में हलफनामा दाखिल किया जाए। वेणुगोपाल ने कहा कि वह बुधवार तक ऐसा कर देंगे।
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के माध्यम से केन्द्र द्वारा दायर एक आवेदन पर भी नोटिस जारी किया। इस आवेदन में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले आयोजन में व्यवधान के लिये किसानों के प्रस्तावित ट्रैक्टर या ट्राली मार्च या किसी अन्य तरह के विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। इस आवेदन में केन्द्र ने कहा है कि उसे सुरक्षा एजेन्सियों से जांनकारी मिली है कि विरोध करने वाले लोग छोटे छोटे समूहों में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।
तीन कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र और किसान यूनियनों के बीच आठ दौर की बातचीत के बावजूद कोई रास्ता नहीं निकला है क्योंकि केन्द्र ने इन कानूनों को समाप्त करने की संभावना से इंकार कर दिया है जबकि किसान नेताओं का कहना है कि वे अंतिम सांस तक इसके लिये संघर्ष करने को तैयार हैं और ‘कानून वापसी’ के साथ ही उनकी ‘घर वापसी’ होगी।