जयपुर. राजस्थान के स्वायत्त शासन विभाग और सार्वजनिक निर्माण विभाग में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर ऐसे बैंक खातों में कई करोड़ का भुगतान कर दिया गया, जिन्हें सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता और रूडसिको उच्च अधिकारियों ने गैरकानूनी माना है. इन खातों के मालिकों के खिलाफ झुंझुनूं जिले के फतेहपुर शेखावाटी तथा झुंझुनूं कोतवाली थाने में एफआईआर भी दर्ज है.
करोड़ों के गैरकानूनी भुगतान के इस मामले में सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक अधिशासी अभियंता के साथ ही कई नगरपालिकाओं के अधिशासी अधिकारियों, झुंझुनूं रजिस्ट्रार कार्यालय के जनरल मैनेजर, बडौदा बैंक के कर्मचारियों की भी मिलीभगत जांच के दौरान सामने आई है. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब साझेदारी फर्म मैसर्स बी आर कंस्ट्रक्शन कंपनी बिसाऊ के एक हिस्सेदार अमित पारीक ने स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के साथ-साथ सार्वजनिक निर्माण विभाग के उच्चाधिकारियों को शिकायत की कि फर्म ने (पीएमजीएसवाई) योजना के तहत विभिन्न नगरपालिकाओं से मिले ठेके के आधार पर काम पूरा होने के बाद भुगतान मांगा तो अधिकारियों ने फर्म के चूरू की आईसीआईसीआई बैंक शाखा के खाते में भुगतान करने की अपेक्षा फर्म के एक हिस्सेदार के निजी खाते में करोड़ों का भुगतान कर दिया. स्वायत्त शासन मंत्री से की गई शिकायत में गैर कानूनी भुगतान करने का आरोप फतेहपुर शेखावाटी नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी नूर मोहम्मद पर लगाया गया है.
रजिस्ट्रार आफ फर्म के अधिकारी ने स्वीकार किए कूटरचित दस्तावेज
इसके अलावा सार्वजनिक निर्माण विभाग वित्तीय सलाहकार को 22 मार्च 2022 को पत्र लिखकर रजिस्ट्रार आफ फर्म कार्यालय के अधिकारी योगेश शर्मा पर आरोप लगाया गया है कि उसने गैरकानूनी तरीके से कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर साझेदारी फर्म से शिकायतकर्ता को बाहर करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए. जबकि वित्तीय सलाहकार ने शिकायत के साथ पेश दस्तावेजों के आधार पर आदेश दिए हैं कि रजिस्ट्रार आफ फर्म ने साझेदारों में परिवर्तन की कार्रवाई को गैरकानूनी घोषित किया है. रजिस्ट्रार आफ फर्म कार्यालय के जनरल मैनेजर योगेश शर्मा के खिलाफ पुलिस थाना झुंझुनूं में एफआईआर भी दर्ज है. इसलिए इस फर्म के तमाम भुगतानों पर रोक लगाया जाना उचित है.
पेश कर दिए आयल कंपनी के फर्जी इनवॉइस
इतना ही नहीं सार्वजनिक निर्माण विभाग के (पीएमजीएसवाई) योजना के मुख्य अभियंता सुनील जयसिंह ने 17 जून 2022 को अतिरिक्त मुख्य अभियंता जोधपुर को आदेश दिया कि मैसर्स बी आर कंस्ट्रक्शन की ओर से कूटरचित दस्तावेजों तथा बिलों के आधार पर उठाए गए भुगतान की रिकवरी करके फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें. आदेश में कहा गया है कि बी आर कंस्ट्रक्शन के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराकर फर्जी इनवाइस के माध्यम से उठाए गए करीब 16 लाख के वित्तीय लाभों की वसूली करें और फर्जी सीआरसी की जांच किए बिना उसे प्रमाणित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करें. सुनील जयसिंह ने अधिशासी अभियंता मुख्यालय जयपुर को आदेश दिए कि फर्म ने पाली में जिस आयल कंपनी के इनवॉइस पेश किए वे जांच में फर्जी पाए गए हैं, इसलिए फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. इसी जांच के आधार पर 22 अगस्त 2022 को अतिरिक्त मुख्य अभियंता जोधपुर को आदेश दिया कि फर्म को अब तक किए गए भुगतान की रिकवरी करके फर्म को डिबार करके ब्लैक लिस्ट कर दिया जाए.
आदेश पर आदेश जारी फिर भी रिकवरी नहीं
इसके बावजूद फिल्मी डॉयलॉग तारीख पर तारीख की तर्ज पर आदेश पर आदेश जारी होने के बावजूद तकरीबन चार करोड़ के फर्जी भुगतान की आज तक ना तो रिकवरी हो पाई है और ना ही फर्म को डिबार करके ब्लैक लिस्ट किया जा सका है. जानकारी के अनुसार इसका कारण सार्वजनिक निर्माण विभाग के फतेहपुर शेखावाटी डिवीजन में तैनात रहे एक अधिशासी अभियंता को बताया जा रहा है. विभाग में कमाऊ पूत के नाम से मशहूर ये अभियंता जोधपुर से जयपुर तक न सिर्फ अधिकारियों के चहेते हैं बल्कि राजनेताओं के भी दुलारे माने जाते हैं.