नई दिल्ली. कोरोना लॉकडाउन ने पाकिस्तान की एक हिंदू शरणार्थी महिला को 10 महीने तक परिवार से दूर रहने के लिए बाध्य कर दिया। वह अपनी एनओआरआई वीजा अवधि खत्म होने के कारण पाकिस्तान में फंस गई थी।
भारतीय नागरिकता के लिए कतार में खड़ी जनता माली पति और बच्चों के साथ एनओआरआई वीजा पर फरवरी में पाकिस्तान के मीरपुर खास में बीमार मां से मिलने गई थीं। लेकिन राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू होने से वे वापस नहीं आ पाई और इस बीच उनका वीजा समाप्त हो गया। वह पड़ोसी देश में फंस गई जबकि उसके पति और बच्चे जुलाई में वापस भारत आ गए।
एनओआरई वीजा पर गई थी पाकिस्तान
पाकिस्तान एनओआरआई वीजा उन पाकिस्तानी नागरिकों को देता है जो दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) पर भारत में रह रहे हैं। इस वीजा पर पाकिस्तान की यात्रा और 60 दिनों के भीतर लौटने की अनुमति है।
पाकिस्तान के अल्पसंख्यक प्रवासियों से संबंधित मुद्दों के एमिकस क्यूरी सज्जन सिंह ने बताया कि ये शरणार्थी दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) पर भारत में रह रहे थे और एनओआरआई वीजा पर लॉकडाउन से पहले पाकिस्तान गए थे।तब गृह मंत्रालय ने कहा था कि इन लोगों को वीजा का विस्तार करते हुए जल्द ही देश वापस लाया जाएगा।
शरणार्थियों के संगठन ने इस मुद्दे को राजस्थान सरकार के साथ-साथ केंद्र तक पहुंचाया। सरकार से आग्रह किया है कि ऐसे सभी लोगों की वापसी का मार्ग प्रशस्त किया जाए। छह महीने के संघर्ष के बाद माली वापस आने में सफल रही।
पाकिस्तान के किन्नरों को गिरजाघर में मिलेगी शांति
पाकिस्तान में ईसाई ट्रांसजेंडर उनके लिये बनाए गए गिरजाघर में प्रवेश कर सकेंगे। पाकिस्तान के ईसाई किन्नरों को सामान्य गिरजाघरों में घुसने नहीं दिया जाता।
फर्स्ट चर्च ऑफ यूनक (किन्नर) नामक गिरजाघर केवल ईसाई किन्नरों के लिए है। पाकिस्तान में अक्सर सभी धर्मों के किन्नरों को रुढ़िवादी सार्वजनिक अपमान, यहां तक की हिंसा का सामना करना पड़ता है।