भारत के अंदरूनी मामलों में विदेशी हस्तक्षेप !
नई दिल्ली. किसान आंदोलन की आंच अब सुदूर ब्रिटेन में भी महसूस की जा रही है। ब्रिटेन की अलग-अलग पार्टियों के कुल 36 सांसदों ने ब्रिटिश विदेश मंत्री डॉमिनिक राब से कहा कि वे भारत से बात करके बताएं कि कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शन से ब्रिटिश पंजाबी प्रभावित हो रहे हैं। इन सांसदों के पत्र को लेबर पार्टी के ब्रिटिश सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने ट्विटर पर पोस्ट किया है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में वीरेंद्र शर्मा, सीमा मल्होत्रा और पूर्व लेबर नेता जर्मी कोर्बिन शामिल हैं। हाल ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए कहा था कि उनकी सरकार हमेशा से शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों की समर्थक रही है। भारत और कनाडा के द्विपक्षीय रिश्तों पर नज़र रखने वाले जानकारों का कहना है कि उनके बयान का असर दोनों देशों के संबंधों पर पड़ सकता है।
इससे पहले ट्रूडो ने किसान प्रदर्शनकारियों के साथ भारतीय सुरक्षाबलों के रवैए को लेकर चिंता जताई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने मौजूद कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल को तलब कर आपत्ति दर्ज कराई थी। कनाडा के कुछ समूहों ने मिल कर ओटावा में भारतीय उच्चायुक्त के दफ्तर तक विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में पंजाब किसान कार रैली निकाली थी। कनाडा में वोटरों का एक बड़ा वर्ग है जिसकी जड़ें पंजाब के किसान समुदाय से जुड़ी हैं।
ब्रितानी सांसदों ने ख़त में विदेश मंत्री डोमिनिक राब से गुज़ारिश की है कि वो पंजाब में बिगड़ते हालात पर जल्द से जल्द भारतीय विदेश मंत्री से बात करें। पत्र में लिखा है कि कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शनों का असर ब्रितानी पंजाबियों और सिखों पर पड़ रहा है। ब्रिटेन में बसे सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के भारत स्थित परिजनों की पुश्तैनी ज़मीनें हैं और विरोध का असर उन पर पड़ रहा है।